STORYMIRROR

S N Sharma

Abstract Romance

4  

S N Sharma

Abstract Romance

जैसे दिया कोई आरती का

जैसे दिया कोई आरती का

1 min
10

मस्त सावन की झड़ी में आकर तेरा भीग जाना।

बैठ झूले पर मचल कर फिर वो तेरा गीत गाना।


और काली घटाओं में बिजलियों के कड़कने में।

साथ मेरे चलते चलते डर के मुझसे लिपट जाना। 


जुल्फ से पानी टपकता जैसे मोती झर रहे हो।

और भीगे वस्त्रों का तन से तेरे चिपक जाना।


हैं शोख मस्ती से भरी प्रिय चुलबुली तेरी अदाएं।

नैनों की चितवन निराली नर्म लब का थरथराना ।


मैं खुशी के इन पलों को दिल में फोटो सा उतारूं।

जैसे दिया कोई आरती का लगे है सबको सुहाना।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract