'...के नाम' ( Translation of the the Russian poem K Alexander Pushkin )
'...के नाम' ( Translation of the the Russian poem K Alexander Pushkin )
याद है वो हसीन पल
एक झलक सपनों का आंचल,
जब तुम मेरे सामने आईं,
परियों जैसी पाक परछाईं।
घनघोर उदासी निराशा छाई,
सुरीली आवाज़ गूंजती है आई
शोर भरा जीवन था बीता,
रूप सुहाना सपनों में आता।
तूफ़ान भरे साल वो गुज़रे
भूला परी सा रूप तुम्हारा
बिखर गए सपने वो सारे,
मधुर आवाज़ न अब पहचाने
कैद हुआ रातों की नगरी में
थामी थी रातों ने रफ़्तार
बीते दिन बिना ईश्वर, बिना प्रेरणा,
बिना आंसू, बिना जीवन, बिना प्यार।
दिल ने मेरे ली अंगड़ाई
फिर तुम मेरे सामने आई,
एक झलक सपनों का आंचल,
परियों जैसी पाक परछाईं।
दिल खुशी के मारे धड़क उठा,
पुनर्जीवन सब जाग उठा
मिला ईश्वर, मिली प्रेरणा,
मिला जीवन, आंसू और प्यार ।
और उसके लिए फिर से सब कुछ नया हो गया है।
भगवान, प्रेरणा,
जीवन, आंसू, और प्यार भी।

