महानता
महानता
माटी चाहे, रौंद रौंद कर, समय जरा लग जाता है,
बाद कभी उस ही माटी से , कुम्हार सुंदर कृति बनाता है,
बीज चाहे, सींच सींचकर, समय जरा लग जाता है,
बाद कभी उस ही बीज से , किसान हरी भरी फसल पाता है,
वादा चाहे, दे देकर के, समय ज़रा लग जाता है,
बाद कभी उस ही वादे पर, सारा रिश्ता निभाया जाता हैं,
दुःख चाहें, आ आकर के, समय ज़रा लग जाता हैं,
बाद कभी उसी दुःख से ही, इंसान कितना सुख जी जाता है,
निर्णय चाहें, ले लेकर के, समय ज़रा लग जाता हैं,
बाद कभी उस ही निर्णय से, व्यक्ति आनंद सहित रह पाता है,
जीवन चाहें, कठोर हो होकर के, समय ज़रा लग जाता हैं,
बाद कभी उस ही जीवन से, व्यक्ति महानता की ओर बढ़ जाता हैं।
