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Manju Rai Sharma'Queen '

Classics

4  

Manju Rai Sharma'Queen '

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राम नाम की महिमा

राम नाम की महिमा

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राम नाम है एक अधारा , 

जपते मानुष उतरे पारा I 

राम नाम की महिमा ऐसी , 

तैर गये सिंधु में सब शिला अकारा I 


पग से छुअत शिला भई अहिल्या ,

जूठे बेर खा सबरी को तारा I  

उल्टा नाम जपी डाकु रत्नाकर ,

भये वाल्मिक जाने जग सारा I 


तात वचन पूर्ण की खातिर ,

 वलकल वस्त्र तुरंत ही धारा I 

छोड़ राज प्रासाद क्षण में, 

भ्रात ,भार्या संग कानन पधारा I 


मित्रता की लाज बचाई ,

बाली को छल से मारा I 

भक्ती की महीमा दिखाई ,

हरि उर दर्श दिये संसारा I 


एकै नाम लिए अंगद ,

पहुँचे दशानन दरबारा I 

जो समझो तुम बलशाली ,

उठा दे पग जो हमने धारा I 


धर्म ध्वजा की रक्षा किन्ही ,

रावण को भी तुमने तारा I  

राजपाट दिन्ह बिभिषण ,

महीमा तुम्हरी अनंत अपारा I 


लौट अयौध्या पूर्ण किन्ही वचन ,

भरत औ शत्रूघ्न हर्षित अपारा I 

राम राज में हर्षित जन - जन ,

प्रेम औ त्याग की बहे रस धारा I 



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