रावण
रावण
एक था सतयुग,
और एक है कलियुग,
एक थे राजा राम,
और एक लंकाधिपति रावण---
सतयुग अब इतिहास है,
राम भी, रावण भी---
पर रुकिए---
राम शायद मोक्ष पा गये हैं,
सो अब नही जन्मते,
रावण----?
नहीं, रावणों का जन्मना,
बदस्तूर जारी है।
हर राज्य में असंख्य रावण,
सोने की लंका भी है,
परिवर्तित रूप में, तिजोरियों में।
और ये आधुनिक रावण,
पहले से से सौ गुना बलिशली,
अब ये मरीचि बन कर नहीं आते,
अपने असली रूप में,
असली रंग दिखाते,
रावण अनगिनत तो सीता भी असंख्य,
राह चलते उठाते,
अट्टहास आज भी वैसा ही,
नही, उससे भी क्रूर---
अपनी धन-शक्ति से ,
कानून में भी छेद कर जाते,
वहां भी हैं रावण,
जो रावण से भाईचारा निभाते,
तो फिर आखिर हम दशहरा क्यों मनाते ?
रावण क्यों जलाते ?
ओह ! ये भोला प्रश्न,
आधुनिक रावण को फूँकना मुश्किल,
सो अब हम,
रावण के माध्यम से,
इतिहास फूंक आते,
और झूठी खुशी मनाते।