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Umesh Shukla

Tragedy

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Umesh Shukla

Tragedy

कहीं गुम हो गया समाज से भाईचारा

कहीं गुम हो गया समाज से भाईचारा

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दुनिया एक रंगशाला

इसमें अनेक किरदार

सब अपनी भूमिका में

बंधे बदलते रंग हजार


कुछ की किरदारी जग

को बना देती है मुरीद

अधिकांश की तो भूमिका

निर्वाह में ही मिट्टी पलीद


संकल्प शक्ति के आधार

पर सबको मिले परिणाम

अधिकांश को मिले हताशा

पर कुछ को मनचाहा मुकाम


संकल्प और सतत प्रयास से

ही मिलता सफलता का स्वाद

अन्यथा मनुष्य के हिस्से में

आता पश्चाताप और विषाद


हर व्यक्ति की कहानी में बस

तेरी और मेरी का ही जिक्र

जीवन सफर में सफलता की

हर इंसान को रहती बड़ी फ़िक्र


सुख, सुविधाओं और संसाधनों

को मानें सब उन्नति का स्केल

ऐसे में कहीं गुम हो गया समाज

से भाईचारा, सौहार्द,आपसी मेल


ईश्वर मेरे देश के लोगों को देवें

सन्मति औ सहकारिता का भाव

ताकि समाज में चहुंओर कायम

रहे पारस्परिक प्रेम और सद्भाव।


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