आज़ाद हूँ मैं
आज़ाद हूँ मैं
1 min
416
आज़ाद हूँ मैं
पर देश के किसी कोने में..
आज भी गुलामी ने जकड़ा है ,
आज भी हमें अशिक्षा ने पकड़ा है ।
स्त्री हूँ मैं हर जगह आजादी नसीब नहीं ,
सबकी सोच बदलने की पास मेरे कोई तरकीब नहीं ।।
फिर भी खुश हूँ मैं अपनों की खुशी में ,
आदत हो गई है सब सहने की इस ज़िन्दगी में ।
आज़ाद हूँ मैं
एक जिन्दा लाश हूँ मैं ।।