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Sarita Saini

Tragedy

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Sarita Saini

Tragedy

आज़ाद हूँ मैं

आज़ाद हूँ मैं

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आज़ाद हूँ मैं 

पर देश के किसी कोने में..

आज भी गुलामी ने जकड़ा है ,

आज भी हमें अशिक्षा ने पकड़ा है ।


स्त्री हूँ मैं हर जगह आजादी नसीब नहीं ,

सबकी सोच बदलने की पास मेरे कोई तरकीब नहीं ।।


फिर भी खुश हूँ मैं अपनों की खुशी में ,

आदत हो गई है सब सहने की इस ज़िन्दगी में ।


आज़ाद हूँ मैं 

एक जिन्दा लाश हूँ मैं ।।


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