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Ritu Agrawal

Tragedy

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Ritu Agrawal

Tragedy

कुछ तो कहो

कुछ तो कहो

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इतनी गहरी नींद तो कभी तुम सोते नहीं।

मेरी आँखों में आँसू कभी सहते नहीं।

तो अब क्यों चुप हो,कुछ तो कहो। 


अभी तो तुमने सिंदूर माँग में भरा था।

अभी तो हमारा प्रेम परवान चढ़ा था।

तो क्यों नाराज़ हो,तनिक हँस तो दो। 


जाते समय तुमने मुझे बाँहों में भरा था।

प्यार भरा बोसा मेरे माथे पर धरा था।

बेसुध क्यों पड़े हो,मुझे गले से लगा लो। 


तुम माँ भारती के सैनिक हो,मुझे पता है।

पर मेरा जीवन भी तो तुमसे जुड़ा है।

मेरी सूनी आँखों में फिर सपने सजा दो। 


इतने निर्दयी न बनो साजन, कुछ तो कहो,

बस एक अंतिम बार ही सही ,

मेरा नाम अपनी जुबां से पुकार लो।

कुछ कहो न प्रियतम, कुछ तो कहो।


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