मुनिया का मनीप्लांट
मुनिया का मनीप्लांट
नन्ही मुनिया को उसकी सखी ने बताया कि उसने एक मनीप्लांट घर में लगाया।
अब उसके पास भी खूब पैसे आएँगे,वो सफ़ाई कर्मी से धन्ना सेठ बन जाएँगे।
यह सुन मुनिया का मन ललचाया, ऊँची इमारतों से लटकते मनीप्लांट ने लुभाया।
लोगों के घरों से काम करके आई विधवा माँ को उसने यह राज बताया।
बोली," पैसे का पेड़ हम भी लगाएँगे,फिर हम भी मेमसाहब से बन जाएँगे।
माँ ने हँसके गाल थपकाया, लंबे इंतजार के बाद मुनिया को मनीप्लांट मिल पाया।
रोज़ मुनिया उसकी सेवा करती, उसे फलता-फूलता देख बड़ी खुश होती।
इक दिन माँ को तेज़ ज्वर आ गया, बीमारी में उस पर खूब कर्ज़ चढ़ गया।
अब झूमता मनीप्लांट उसे चिढ़ा रहा था, मुनिया को विधाता पर गुस्सा आ रहा था।
तुरंत मुनिया ने मनी प्लांट उखाड़ फेंका,रो पड़ी फफक कर जब नसीब ने दिया धोखा।
शायद मनीप्लांट रईसों को फलता है,ये धनी को और धनी,निर्धन को गरीब करता है।
कूड़े में पड़ा मनीप्लांट मुस्काया,
हाँ!पेड़ पर पैसा मेहनत के पसीने से ही उग पाया।
