कथा
कथा
एकाग्र दिमाग में अंकुरित होती है,
भावनाओं के जल से सींची जाती है।
चंचल मन में बरबस ही उग आती है।
शब्दों की धूप, श्रम की खाद पाकर,
दुनिया के दिलों पर लहलहाती है।
फिर किसी किताब की फ़्रेम में जड़कर,
सदा के लिए अमर हो जाती है।
हाँ ! ऐसे ही श्रेष्ठ कथा बुनी जाती है।
सच्चे भावों को लेकर लिखी हुई कथा,
करोड़ों की भीड़ में से चुनी जाती है।
जो कथा लेखक और पाठक को जोड़े
वही तो चिरकाल तक प्रसिद्धि पाती है।
कथा चाहे काल्पनिक हो या सच्ची घटना,
ये समाज को, उसका सच दिखलाती है।
हर कथा में किसी की ज़िंदगी नजर आती है।
