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Navneet Gupta

Abstract Tragedy Action

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Navneet Gupta

Abstract Tragedy Action

ताक़त ~कब तक

ताक़त ~कब तक

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ताकतवर आदमी या जानवर

कब रुका 

रोके से॥

वो नशे में

उद्दंड बिखेरता

हर पल॥


बेक़ाबू ग़ुस्से में पायलट 

पे बरस गये॥


लाल सागर में 

लालिमा फैलाते।

हाथी को धराशायी 

करते अमरीकी।


गाजा को मटियामेट 

करने की क़सम से

बंधे यहूदी

इसराईल से॥


यूक्रेन रूस

से बंधे पुतिन जैलैनंस्की ॥

कहाँ नहीं?

हर धरातल

अंगारों से अटा है।

शायद ये ही जंगल राज है

ना उससे कम 

ना ज्यादा॥

बेहतरी के लिये बँटे हम सब

आपस में हम सब को ही बाँटते तोड़ते 

दिखते हैं॥

कभी कभी तो वीभत्स 

स्वरूप होता है

खंडित करुणा भाव का॥

ताक़त के खेल

सदा ही

असुरी रहे हैं,

रामराज्य में भी॥

सब साथ

ऐसे ही चलता रहेगा,

बस कभी कम

कभी कुछ कम॥


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