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Snehil Thakur

Abstract

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Snehil Thakur

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वक्त कैद नहीं होता

वक्त कैद नहीं होता

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वक्त क़ैद नहीं होता

हो जाते हैं हम तुम क़ैद,

यादों के जंजीरों में

बातों की फव्वारोंं से,

दूर जाने की कोशिश करते

बार-बार, हर बार

नाकाम होने के बाद भी

वहम में गोते लगाते दोनों,

कि तुम आज भी भूले नहीं

और मैं तेरे लौटने के इंतजार में,

सचमुच वक्त क़ैद नहीं होता है, 

सब बढ़ चुके अब आगे, 

बीती बातों को छोड़कर

पुरानी यादों को महसूस कर

कुछ पल में सदियां गुज़ार दी।



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