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Garima Mishra

Abstract

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Garima Mishra

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तुम नहीं हो सकते

तुम नहीं हो सकते

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यूं ही मुझमें बैठे बैठे गुम नहीं हो सकते

शुक्र मनाओ मेरी तरह तुम नहीं हो सकते


चाहत के सारे अफसाने नज़्म नहीं हो सकते

बस तेरे ही मारे खंजर से ज़ख्म नहीं हो सकते

मैं तो तुम में मरती जीती हूं

तुम मेरी तरह मुझमें ख़त्म नहीं हो सकते 

शुक्र मनाओ मेरी तरह तुम नहीं हो सकते


इकरार, इंतजार, इख्तियार, 

ये सारे मोहब्बत के भरम नहीं हो सकते

हो सकता है बीती बातें धूल सी बनकर उड़ जाए

पर यादों के जख्मों पर वक्त के भी मरहम नही हो सकते

शुक्र मनाओ मेरी तरह तुम नहीं हो सकते


मिल जाए तुम्हे कोई और महबूब,

मेरा भी कोई और रकीब हो जाए

फिर भी उनके साथ बैठकर हम हम नहीं हो सकते 

मैं तो उतार दूं तुम्हे काग़ज़ पे,

तुम्हारे हर अफसाने पर ग़ज़ल बयां कर दूं 

लेकिन तुम जज्बातों की स्याह से भरे कलम नहीं हो सकते 

शुक्र मनाओ मेरी तरह तुम नहीं हो सकते।


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