मसला इश्क़ नहीं मेरा!!
मसला इश्क़ नहीं मेरा!!
कोई ख़लिश, कोई ख़ला
कोई दर्द ज़हन में सालों का पला
मसला इश्क़ नहीं मेरा,
या शायद इश्क़ ही है, हां।
उम्र में दिन गिन बढ़ा कर
वक्त को करके कज़ा
कुछ भूलने का फ़ैसला
कुछ यादों का एक सिलसिला
सुनो, मसला इश्क़ नहीं मेरा,
या शायद इश्क़ ही है, हां।
चलो छोड़ो पुराने ज़ख्म को,
नए दौर का नया दर्द हो
तुम भूले नहीं हो अबतक मुझे
तबाहियों से बयां करो
या भूलकर मेरा नाम भी
मेरी इश्क़ की सज़ा ही दो
कहो क्या ख़त्म है सब दरमियां ?
सुनो, मसला इश्क़ नहीं मेरा,
या शायद इश्क़ ही है, हां।