कलम की आख़िरी रवानी
कलम की आख़िरी रवानी


मैं अपने सारे किस्से, कहानियां दफ़न कर दूंगी बस एक किताब में
मैं लपेटकर दिल को सफ़ेद कपड़े में, बन्द कर दूंगी किसी दराज़ में
मैं किसी दरिया के किनारे बैठ कर पानी की रवानी देखूंगी,
मैं लिखते हुए अपनी मोहब्बत के बारे, बहते आँखों का पानी देखूंगी
मैं देखकर ये सब मंज़र बार बार, फेंक दूंगी अपनी कलम बहती धार में
एक वक़्त आयेगा जब नहीं करूंगी ज़ाया मैं लफ़्ज़ अपने, किसी के भी प्यार में
उस वक़्त की बस मिसाल यही होगी, मैं जीना छोड़ दूंगी, बस क़ैद रहूंगी ख़्वाब में
मैं अपने सारे किस्से, कहानियां दफ़न कर दूंगी बस एक किताब में