बेचैनी में सुकून
बेचैनी में सुकून
दुनिया भर में बेचैनी,
सुकून से कोई मुझे अपना ही बना ले
थक कर जब लौटूं ज़माने के बोझ से
झुका कर कोई कंधा मुझे उसपर सुला ले
टूट जाऊं जब दर्दों को सहकर
दो बाहों के बीच कोई अपने सीने से लगा ले
दुनिया भर में बेचैनी,
सुकून से कोई मुझे अपना ही बना ले
रूठने का हक़ समझे वो अपना
जब मैं रूठूं तो वो मुझको मना ले
चाहत के आसमां में जगनुओं की तरह
वो हमारी मोहब्ब्त के सितारे सजा ले
दुनिया भर में बेचैनी,
सुकून से कोई मुझे अपना वो बना ले।।