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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

बुजुर्गों की छाया

बुजुर्गों की छाया

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जुड़े रहो अपने बुजुर्गों से 

चट्टान से जुड़े पत्थर बड़ी मुश्किल से टूटते हैं 


ना समझो इनको बोझ 

क्योंकि बड़ी मुश्किल से ये दिन मिलते हैं 


ये वही मजबूत कंधे हैं 

जिन पर चढ़कर हम कभी मेला घूमा करते थे 


नई इमारत चाहे कितनी बने 

दर्शनीय तो वो पुराने महल ही हुआ करते हैं 


कल ये दौर भी हम पर आएगा 

आज जो करोगे वो कल तुम पर ही बरस जाएगा 


नया पेड़ कहाँ देता छाया 

बूढ़े पेड़ की छाया ही राहगीर को सुहाती है 


जमाने भर की दौलत कम है 

नका आशीर्वाद सबसे बड़ी दौलत होती है 


उम्र भर हमारी फिक्र करते 

हैं हकदार प्यार के घर का आधार यही होते हैं 


नहीं माँगते कभी धन दौलत 

परिवार की मजबूत नींव तो इनसे ही होती है 


जो रहते बुजुर्गों की छाया में 

जीवन में हर कामयाबी उन्हीं को मिलती है 


अनुभवों का ख़जाना इनके पास 

हर रिश्तों को मजबूत सूत्र में बांधे रखते हैं 


आधुनिकता के दौर में अपनापन रखना 

जो थामते इनका हाथ वही जीवन में आगे बढ़ते हैं 



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