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Jyoti Dhankhar

Abstract

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Jyoti Dhankhar

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वादों से भरी आंखें

वादों से भरी आंखें

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वादों से भरी आंखें 

जुबान खामोश देखी 

भरी दुनिया में ज्योत ने 

एक कायनात देखी 

देखा लाश से लिपटे किसी को

कहीं कफन बिना लाश देखी 

ज़हर उगलती दुनिया में 

पहाड़ों सी बयार उसमे देखी

टूटे हुए लोगों की 

अपने कंधों पर आसुओं की धार देखी 

देखा बहुत कुछ ज़माने में 

मोहब्बत नफरत और जाने क्या क्या 

पर जिंदगी जीने को 

उसकी आंखों में प्यास देखी

एक ही शख्स में ज्योत ने 

कई नातों की नेमत देखी 

उजड़ गई थी किसी की दुनिया 

मोहब्बत के सहारे बसते देखी 

इसके उसके तेरे मेरे सबके खातिर

मैने मां की झोली फैली देखी 

वादों से भरी आंखें 

और जुबान खामोश देखी।


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