मोहब्बत के बदले मोहब्बत
मोहब्बत के बदले मोहब्बत


सुनो
जब मैं रो दूं कभी
मुझे गले लगाना
मर्द हो तुम कह कर
चुप मत कराना
तेरी आंखों के काजल
को चुराना चाहूं
तेरी होंठों से जो
तब्बसुम पाना चाहूं
तेरा मन हो तो ही
पास आने देना
मर्द हूं हक है तुम्हारा
ऐसा बोल
ना भीख मोहब्बत की देना
कभी जब घर में साथ
तुम्हारे काम बटवाऊं
घबरा कर ये मर्दों का काम नहीं
ऐसा कह कर मुझे
खुद से ना दूर करना
सुनो
मोहब्बत में मर्द औरत नहीं
बस एक दूसरे के पूरक बने रहना
कभी जो तेरी गोद में सर रखूं
समझ कर अपना मेरे बालों को सहलाना
मोहब्बत के बदले बस मोहब्बत चाहूं
हां यार दुनिया में इक ऐसा मर्द मैं हूं मैं हूं।