औलाद को चिट्ठी
औलाद को चिट्ठी
जिंदगी बहुत खूबसूरत है संवारना तुम
बहुत ही खूबसूरती से जीना तुम ,
हंसी खुशी दुख सब निभाना तुम
खुद से मोहब्बत करना जरूर तुम
हारना भी पर फिर जीतना भी तुम
गिरना भी पर फिर उठ खड़े होना तुम
झुकना भी पर न कभी टूटना तुम
अंधेरों में भी सितारों से चमकना तुम
इंसानियत को सर्वोपरि रखना तुम
अच्छे बुरे के भेद को समझना तुम
चालाक लोगों से संभलना तुम
अनैतिकता और झूठ से डरना तुम
ख्वाबों को खुल कर जीना तुम
गलतियां करना पर उनसे सीखना तुम
मोहब्बत करना और मचलना तुम
तितलियों जैसे खुले गगन में उड़ना तुम
मां की ख्वाहिश है ज़िंदगी जीना तुम
कभी ना घबराना रखना संबल तुम
सूरज जैसे ढलना फिर उगना तुम
जिंदगी बेहद खूबसूरती से जी जाना तुम