सुनो
सुनो
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सुनो
वो तुम्हारे नाम का मंगलसूत्र,
माथे पे बिंदिया और पैरों में बिछिया
पायल पहन घूम रही है,
तुम्हारे गोत्र को अपने नाम से जोड़ रही है,
तुम्हारे खून को नौ महीने अपने गर्भ में सींच रही है
शायद वो कुछ भी नया नहीं कर रही है
पर सुनो अब वो तुम्हें आर्थिक सहारा भी दे रही है
इसलिए आज वो तुमसे बराबरी का समानता का हिस्सा मांग रही है
अरे सुनो ज्यादा नहीं बस इतना ही चाह रही है
की सहचरी बना के रखो
वो बस जिंदगी जीना चाह रही है।