ज़िंदगी की गलती
ज़िंदगी की गलती
जिंदगी की एक ही गलती बहुत भारी रहा
खुद से मोहब्बत ना निभाना कष्टदायी रहा
औरों से प्यार निभाते खुद को मैं भूले रहा
अब होश आया है जब वो साथ निभा रहा
मन का अब सब मैं बाहर निकाल रहा
खैर अब खुद से भी मोहब्बत मैं निभा रहा
खैर अब खुद से भी मोहब्बत मैं निभा रहा।
