ऐसा कैसे कर लेते हो ! ऐसा कैसे कर लेते हो !
घरेलू हिंसा पर एक कविता...। घरेलू हिंसा पर एक कविता...।
बड़ा तो आकाश है लेकिन आश्रय धरा ही देती है बड़ा तो सागर है लेकिन प्यास नदी ही बुझाती है ! बड़ा तो आकाश है लेकिन आश्रय धरा ही देती है बड़ा तो सागर है लेकिन प्यास नदी ही...
मैं विदा होना चाहता हूँ ! मैं विदा होना चाहता हूँ !
अनंत आदी काल का मैं राम कलयुग में पुरुषार्थ और पुरुषोत्तम से बंधा, मैं राम! अनंत आदी काल का मैं राम कलयुग में पुरुषार्थ और पुरुषोत्तम से बंधा, मैं राम!
मैं पुरूष, बंदर हूं उस मदारी का, जिसका नाम नारी है! मैं पुरूष, बंदर हूं उस मदारी का, जिसका नाम नारी है!