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Mens HUB

Tragedy

4.0  

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तुम्हारी सोच से जकड़ा मैं राम

तुम्हारी सोच से जकड़ा मैं राम

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अनंत आदी काल का मैं राम

कलयुग में पुरुषार्थ और पुरुषोत्तम से बंधा, मैं राम

कलयुग में सीता जैसी सहभागी कि सोच और खोज करता, मैं राम

अपने आनन्द और प्रभुत्व का हनन करता, मैं राम

खुद संघर्ष कर दूसरों को उल्लास देता, मैं राम

सब पारिवारिक दायित्व निभाता, मैं राम

अपने अधिकार और सुख को वंचित करता, मैं राम

आधुनिक युग के वोट बैंक पॉलिटिक्स में फंसा, मैं राम

लक्ष्मण हनुमान और वानर सेना से विमुख, मैं राम

चिकित्सा शिक्षा से वंचित, मैं राम

चारो दिशा सुरपलका से घिरा, मैं राम

स्वयं ही स्वयं को मिटाता, मैं राम

फिर भी नहीं समझता, मैं राम

हे राम! हे राम! हे राम!



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