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मै विदा होना चाहता हूँ

मै विदा होना चाहता हूँ

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पुरुष हूँ

जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा

कलश हूँ

पुरुषप्रधान भूपर्पटी को तोड़

जीना चाहता हूँ

सीता बनना चाहता हूँ

मै विदा होना चाहता हूँ

आरोप के कठघरे में खड़ा

लानत के टीले में जड़ा

हरबार दोषी बन जाता हूँ

गलती उनकी होती है

सज़ा मै पाता हूँ

महिला होने का

फायदा लेना चाहता हूँ

मै विदा होना चाहता हूँ

क्यों न इस बार जीवन के

पहलू को बदल दे

विदाई तुम्हारी न हो

हम तुम्हारे साथ चल दे

पुरुष के सारे अधिकार तुम्हारे हो

महिला के सब भार हमारे हो

परिवर्तन के झूले पर

झूलना चाहता हूँ

मै विदा होना चाहता हूँ !










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