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अर्जित पाण्डेय

Drama

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अर्जित पाण्डेय

Drama

बोतल सी जिंदगी

बोतल सी जिंदगी

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बोतल में भरे पानी - सी

है ये ज़िंदगी

मैं अपने हिस्से की ज़िंदगी

रोज़ खर्च करता हूँ

जब खत्म होने लगता है

बोतल का पानी

उसे दोबारा भर कर

शीतल होने

रख देता हूँ

उमंग के फ्रिज में

उमंग का फ्रिज

मेरे जज़्बे के विद्युत से

निरंतर चलता रहता है

जानता हूँ अभी हिम्मत है

उम्र की गर्मी से सूख रही

नदी से भी पानी लाकर

बोतल में भरने की

एक दिन ये हिम्मत जवाब देगी

इच्छाओं की जमी बर्फ भी

सूखेगी

और बस

बचेगी सिर्फ खाली बोतल...!


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