एक विचार...। एक विचार...।
एक सपना...। एक सपना...।
एक वृक्षात्मा...। एक वृक्षात्मा...।
नहीं दे सकता ये ज़िंदगी तो अब मौत ही दे दे न...! नहीं दे सकता ये ज़िंदगी तो अब मौत ही दे दे न...!
मैं अपने हिस्से की ज़िंदगी रोज़ खर्च करता हूँ... मैं अपने हिस्से की ज़िंदगी रोज़ खर्च करता हूँ...
जिंदगी को इतना खुशनुमा बनाओ मित्रों कि, वो प्रश्न पूछ बैठे मुझसे अलविदा तो न लोगे जिंदगी को इतना खुशनुमा बनाओ मित्रों कि, वो प्रश्न पूछ बैठे मुझसे अलविदा तो न लो...