चर्चित पुस्तक 'मैं हूँ बबली .......एक लड़की' की लेखिका। नलबाड़ी (असम) वासी।
Share with friendsमाँ, आजकल आपको अच्छी तरह कुछ याद नहीं रहता है, प्लीज़ इसमें कोई भूल मत करना।
Submitted on 27 May, 2020 at 07:02 AM
जो जीना चाहे उसे दुनिया की कोई ताकत मार हीं नहीं सकती
Submitted on 27 May, 2020 at 06:42 AM
खुद सुरक्षित रहकर ही हम परिवार को समाज को सुरक्षित रख सकते हैं।
Submitted on 19 Mar, 2020 at 06:52 AM
सवाल करता बेटा, जा उसे बचपन में जबरदस्ती माँ बाप के सपनों के साथ शहर पढ़ने भेज दिया गया...और अब जब वो ज़िद कर के विदेश में...
Submitted on 21 Jun, 2019 at 06:13 AM
वह भुनभुना रही थी बूढ़े सास ससुर आफ़त हैं, पर जब माँ की हालात सुनी तो गुस्से से चेहरा लाल हो गया
Submitted on 21 Jun, 2019 at 06:08 AM
रमा बहुत खुश थी की वह बहु नहीं बेटी जैसी है, पर वक्त ने उसे समझाया बेटी जैसी और बेटी होने का फ़र्क
Submitted on 21 Jun, 2019 at 06:05 AM
चार साल के अंतराल में अपने भाई के बढे रुतबे को देखकर वह भौंचक्का रह गया। पिता की हालत बहुत खराब थी।
Submitted on 20 Dec, 2018 at 11:35 AM
प्रिया, मुन्ने को बचपन से ही सैनिक बनने की शिक्षा देना ताकी वह, वो कर सके जो मैं नहीं कर पाया...!
Submitted on 20 Dec, 2018 at 11:32 AM
"मैं न मायके मैं रहूंगी और न ही ससुराल में, मैं अपने घर में रहूंगी ! बस, मैं वहाँ आ गई हूँ...।"
Submitted on 01 Aug, 2018 at 05:50 AM
विदाई के समय भार इतना अधिक हो जाता है कि उसके तले दबे अपने परिजन को खोने वाले घरवाले दुःखी होने का अधिकार खो देते हैं !
Submitted on 01 Aug, 2018 at 05:48 AM