तुम अपना हुनर तलाशो तुम्हें दुनिया तलाश लेगी।
पर लगादे सपनों के जो
परिवार वही कहलाता।
गुरु वह जो सिखाये,
चौपाये से लेकर चींटी तक
निजीर्व से सजीव
हर किसी को मेरा अभिनन्दन
नमन, वंदन
जो झेल ले हर एक वार
वही तो कहलाए परिवार
खाने से अधिक भोजन थाली में जूठा कहलाता है।
उधर पेट पकड़ बैठा भूखा ईश्वर से रूठा कहलाता है।
नाले में बहा देना बाद में पहले एक बार सोचो जरा,
जो हमने न बनाया क्या उसे बहाने का हमें है हक जरा .....
यादें
अदृश्य बेड़ियाँ है
और
विस्मृति
स्वतंत्रता का अहसास
हर एक सत्य को
प्रकट करना
उतना ही विनाशकारी है
जितना
हर एक झूठ को छिपाना....
किसी को
जानने के लिए
वह सुनना
आवश्यक है
जो उसके
होठ नहीं कहते।
होती है वो हर रोज बेइज्जत वहाँ
मगर
ताल्लुकात उसके
सभी इज्जतदारों से है !