बचाव ही उपाय
बचाव ही उपाय


बचाव ही उपाय कल रात से ही उसे खाँसी परेशान कर रही है। समझ में नहीं आ रहा कि क्या हुआ। वह नजरअंदाज करना चाहती है मगर खाँसी है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। सुबह वह जल्दी उठती है और घर के काम में लग जाती है। खाँसी आती है तो मुँह के आगे हाथ लगा लेती और फिर काम में लग जाती है। इसी तरह उसने भोजन पका लिया और साथ-साथ घर के अन्य काम भी करती रही। अपने बच्चों के लिए नमिता बहुत डर रही है क्योंकि पूरी दुनिया में फैलते-फैलते कोरोना ने भारत में भी अपने पैर पसार लिए है। धीरे-धीरे सब कुछ बंद हो रहा है। नमिता मॉल में काम करती है, अभी उसे वहाँ से छुट्टी मिलने के कोई आसार नहीं लग रहे हैं। छोटे बेटे नमित की आज परीक्षाएँ खत्म होने वाली है। वह अब कल से उसे घर से बाहर भी नहीं निकलने देगी।
आएगा तब महंगे वाले सेनिटाइजर से उसके अच्छे से हाथ धुलवाएगी, अच्छी तरह से साबुन से नहलायेगी, बस फिर कोई समस्या नहीं रहेगी। राहुल जब ऑफिस से आता है तब उसे भी तो वह किसी सामान के पिछले दो दिन से हाथ नहीं लगाने दे रही है। उसे अपनी चिंता नहीं है अपने परिवार की चिंता है। फिर भी वह मॉल में मास्क पहनकर रख रही है, मगर तब जब कोई उसे देखता है, ऐसे वह उसे उतार देती है, उसे लगता है उसके साथ क्या होगा, उसे अपने परिवर के लिए चिंतित होना चाहिए। किसी सामान को भी जब तक आवश्यकता न हो नहीं छू रही है। उसके द्वारा संक्रमण उसके परिवार तक आ सकता है। इन्हीं सब विचारों में डूबते-डूबते वह नमित और राहुल को स्कूल और कॉलेज भेजकर खुद मॉल आ जाती है। सरकार ने निर्देश जारी कर दिये हैं कि कल से शहर का एक भी मॉल नहीं खुलेगा।
वह खुश है कि उदास है, समझ नहीं पाई। न जाने आने वाले दिनों में क्या हो, एक साथ एक महीने का राशन खरीदकर वह घर लौट जाती है। पति भी कल से घर से ही काम करने वाले हैं, सुनकर राहत मिलती है। मगर यह क्या, टी वी पे समाचार आ रहा है, एक विदेशी कोरोना वायरस से पीड़ीत पाया गया है, उससे पूछताछ हो रही है कि वह पिछले चार दिन में कहाँ-कहाँ गया था। एक नाम अपने मॉल का सुनकर नमिता परेशान हो जाती है।
राहुल भी परेशान है मगर सांत्वना देता है- चिंता मत करो, तुम तो पूरी सावधानी रख रही हो। कुछ नहीं होगा। चार दिन बाद पता चलता है कि पूरा परिवार कोरोना वायरस की चपेट में आ गया है।
कारण बिल्कुल साफ है, जब खाँसी आ रही थी, शरीर टूट रहा था तब डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाया। यह भी कि खाँसते-खाँसते मुँह पर हाथ रखकर उसी हाथ से भोजन बनाने से मुँह के सभी किटाणु भोजन में जा रहे थे। वही भोजन पूरे परिवार ने किया था। सेनिटाइजर इस्तेमाल किया हुआ, घर के बाहर मास्क लगाया हुआ कुछ काम नहीं आया। वह समझ ही नहीं पाई गलती कहाँ हो गई। उसकी एक छोटी सी गलती या लापरवाही या जागरुकता के अभाव ने पूरे परिवार को मुसीबत में डाल दिया। वह खुद को कोस रही है कि जब मॉल में सबने अच्छी तरह मास्क पहने हुए थे तो वह क्यों इन सब को नौटंकी मान रही थी, उसी समय जब अपने पूरे परिवार के लिए महंगे मास्क खरीद रही थी।
अब उसके समझ में आ गया था कि खुद को नजरअंदाज करके पूरे परिवर का ध्यान रखने वाली अपनी आदत के कारण उसने खुद के साथ पूरे परिवार को मुसीबत में डाल दिया। नमिता पछता रही थी। खुद को ओवर स्मार्ट समझने में और खुद को नजरअंदाज करने के चक्कर में उसने खुद को और परिवार को मुसीबत में डाल लिया था। मगर वह पूरे भारत से निवेदन कर रही थी कि उसने जो गलती की है वह औऱ कोई न करे। खुद सुरक्षित रहकर ही हम परिवार को समाज को सुरक्षित रख सकते हैं।