टूटना
टूटना
आवाज़ें आती रहती हैं अक्सर
सामने वाले मकां से
टूटने की
फूटने की
चीखने की
रोने की
फिर सन्नाटा पसर जाता है
बत्तियां बुझ जाती है
और वह मकां
चाँद की दूधिया रौशनी में
किसी खंडहर - सा मालूम होता है
जिसकी बालकनी में थोड़ी देर बाद
एक पुरुष
सिगरेट की कश लेता हुआ
हवा में छल्ले बनाता है
जो अभी - अभी
अंदर के कमरे से
एक युद्ध जीतकर आया है मगर
हारा हुआ नज़र आता है
आज भी टूटा है कुछ
लेकिन हमेशा की तरह बत्तियां बुझी नहीं है
कुछ और बत्तियां भक से जल उठी है
शोर बढ़ गया है उस तरफ
एम्बुलेंस आकर रुकी है
वही पुरुष
जो अक्सर इस वक़्त बालकनी में दिखता था
दो जनों के सहारे
एम्बुलेंस में किसी तरह चढ़ता है
कहते हैं,
टूटना अच्छी बात नहीं
लेकिन यकीं मानिए
आज जो टूटा है
वह सुकून भरा है
उसे बहुत पहले टूटना चाहिए था
ऐसी चीज़ें टूटनी ही चाहिए
कम से कम
मैं तो ऐसा ही मानता हूँ
आपको क्या लगता है ?