ज़िन्दगी के इम्तिहान
ज़िन्दगी के इम्तिहान
वक़्त की मार, भर देती एक तूफ़ान, ख़ामोश आंँखों में भी,
बदल जाते हैं रास्ते, जब गुजरती है ज़िन्दगी, इम्तिहानों से।
हर पल रंग बदलती ज़िंदगी, जाने कब कौन सा मोड़ आए,
आखिर कौन बच पाया यहाँ वक़्त बेवक़्त आए तूफ़ानों से।
किस्मत का खेल कहो या वक़्त का,मजबूत चट्टानों की भी,
टूट जाती है हिम्मत, छलकता है दर्द जब सब्र के पैमानों से।
सुख कभी दुःख संग, जीवन की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियों पर,
ज़िंदगी भी हर पल, कैसे-कैसे करतब करवाती इंसानों से।
सुख की छांँव कभी इतनी कि ख़ामोशी से गुजरती ज़िंदगी,
कभी निष्ठुरता ऐसी कि बरसों तक उबारती नहीं तूफानों से।
कोई खुद को अंँधेरों में कैद कर लेता ताउम्र, दर्द से डरकर,
तो कोई सहकर ज़ख्मों को निकल आता दर्द के मकानों से।
किंतु जो सहता है, वही जीवन जीता, बढ़ता सफ़र में आगे,
बीच राह ही ठहर जाता, जो डर जाता ज़िंदगी के तानों से।
सफ़र है ज़िन्दगी का, तो कभी ठहराव, कभी सैलाव होगा,
बस तू बढ़ता जा ऐ मुसाफिर, डरना क्या इन इम्तिहानों से।
ज़िन्दगी के सफ़र में इम्तिहान तो आते हैं बस हमें परखने,
बस खुशियांँ चुराने का हुनर सीखो, ज़िन्दगी के तरानों से।
ज़िन्दगी एक संघर्ष भरा सफ़र, निखरेगा तू, बिखर कर ही,
सफ़र हो जाएगा आसान, बस लड़ना सीख ले, तूफ़ानों से।
