लौटकर आऊंगा
लौटकर आऊंगा
खेतों की पगडंडियों पर,
लड़खड़ाकर चलने ।
बंधु मैं लौट कर आऊँगा फिर।
भेड़, बकरियां, गाय-भैंसों की,
धूल उड़ाते झुण्ड को देखने,
नदी किनारे बगुले की ,
मछली पकड़ते झुण्ड को देखने।
बंधु मैं लौट कर आऊँगा फिर।
भूला नहीं वो पुरानी खेलें-गिल्ली-डंडा, आंख- मिचौली
उपले की बंदूकें, कालिख पोते,
डरावनी डकैतों वाली मुखड़ा।
बंधु मैं लेकर यादें लौटकर आऊँगा फिर।
दादी, माँ के हाथों की वो स्वादिष्ट व्यंजन खाने,
पापा की जेब से, मां की साड़ियों के पल्लू में बंधे,
सिक्के चुराने।।
बंधु मैं ये सब दोहराने लौटकर आऊँगा फिर।
चैन की सांसें लेने, वृक्षों की छांव में सोने,
वो सुहावनी मौसम में,
हर फसलों की सौंधी लेने।
बंधु मैं लौट कर आऊँगा!!
