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राजेन्द्र कुमार मंडल

Inspirational

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राजेन्द्र कुमार मंडल

Inspirational

हमारे देश के बेरोजगार

हमारे देश के बेरोजगार

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रुकते नहीं वे, झुकते नहीं वे,

रोटी की चिंता है उसे, जमीं पर पैर टिकते नहीं उनके।

डिग्रियां लिए दर दर भटकते, ये आज के ऐसे लाचार हैं।

हमारे देश के ये बेरोजगार हैं, हमारे देश के ये बेरोजगार हैं।


बड़ी आस लिए वे सपने देखते,

अध्धयन की फिक्र रहती जब, ना घर बाहर अपने देखते।

एक-एक पैसे जुटाकर, भर्तियों के फॉर्म डालते लगातार हैं।

हमारे देश के ये बेरोजगार हैं, हमारे देश के ये बेरोजगार हैं।।


देश के कोने- कोने तक परीक्षा देने जाते वे,

अभ्यर्थियों के भीड़ में पीसते, कभी पैरों तले कुचले जाते वे।

निजी हो या सरकारी,हर जगह चूसते दलाल बैठे बेशुमार हैं।

हमारे देश के ये बेरोजगार हैं, हमारे देश के ये बेरोजगार हैं।


कभी कभी मानसिक तनाव में वे आते हैं,

टूटते सपने देख, आत्महत्या भी वे कर जाते हैं।

कौन सोचते इनके लिए? आखि

र ये कैसा मारा- मार हैं।

हमारे देश के ये बेरोजगार हैं, हमारे देश के ये बेरोजगार हैं।


कैसी हैं वे नीतियां, कैसी हैं वे योजनाएं,

दलाल,अफसरान भरते रिश्वत की झोलियां, नेतियन मुफ्त की खाते जाएं।

लुटेरों को फुर्सत नहीं, मेहनत करने वाले बैठे बेगार हैं।

हमारे देश के ये बेरोजगार हैं, हमारे देश के ये बेरोजगार हैं।


बिक जाती भर्तियों की सीटें, पेपरलीक की बातें आम है,

भ्रष्ट हैं आयोग सारे, विभाग भी दलालों से पटे सरेआम हैं।

पीसते हैं गरीबों के बच्चे, हाय ये कैसी निर्दयी सरकार हैं।

हमारे देश के ये बेरोजगार हैं, हमारे देश के ये बेरोजगार हैं।।


उठो,हे भारत के वीर जवानों,

देश के इन लुटेरों और मुफ्तखोरों को पहचानो।

बंद करो इनकी नीतियां, हो रहे जो अत्याचार हैं।

हमारे देश के ये बेरोजगार हैं, हमारे देश के ये बेरोजगार हैं।।


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