मेरे गुरु
मेरे गुरु
हे जीवनतार मेरे गुरु ज्ञान दाता,
कीर्ति तेरी जगत गाता।।
हे ज्ञानरुपी कृपा निधान।
अमरत्व ज्ञान तेरी कृपानिधान।।
हे तम नाशक, हे कल्याणकारी,
उज्जवलित हुए जीवन, बने तेरा आभारी।।
शिष्य भविष्य के तेरे कर्णधार।
हे ज्ञानदाता, करो अज्ञान संहार।।
मेरे गुरु, मेरे खेवैया,
ज्ञानसागर में करना पार बन खेवैया।।
तेरा ऋणी रहूंगा,आजीवन।
तेरे बिन यह जीवन निर्जन।।
चाणक्य, अरस्तू, सुकरात की गुरुगाथा,
विश्वामित्र, द्रोणाचार्य की अमर गाथा।
यह धरा शाश्वत करते रहे, गुरु का सम्मान।
हे कृपा निधान, हे कृपा निधान।।
एक अक्षर का भी जो दे ज्ञान,
जड़मती को घिस- घिस कर बनाए महान।
हे मेरे गुरु, करेंगे आपका सम्मान।
आपके चरण कमलों में सहस्रों प्रणाम।।
