हिंदीमय
हिंदीमय
मोती सी आभा वाली वर्ण,
देवनागरी इनकी जननी कहलाती।
सृजन कर जाते महाकाव्य इनसे,
गान कंठ के बनते मधुरलय।
आयें हम सभी हो जायें हिंदीमय।।
हिंद की मिट्टी से, हिंद की भाषा से,
एकता की जन- जन में अलख जगायें।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
सभी प्रांतों की हो एक ही लय।
आयें हम सभी हो जायें हिंदीमय।।
जगत में हो शान इनकी,
हो कीर्ति गुणगान इनकी।
हो निर्वास कहीं, करो हिन्दी की जय।
है मिशाल इनकी , इसमें न कोई संशय।
आयें हम सभी हो जायें हिंदीमय।।
रगों में रक्त वतन की, भाषा वतन की,
ना हो तो फ़िर, मोल क्या तन की ?
उतारें ऋण जन्मभूमि की, करें इसे अजय।
करें जयगान- हिन्दी की जय,हिंदी की जय।
आयें हम सभी हो जायें हिंदीमय।।