कोरोना जैसे संकट में भी शिक्षा ने प्रचार किया
कोरोना जैसे संकट में भी शिक्षा ने प्रचार किया
गुह्य विचारों में तन्मय हो जब जब तुमको याद याद किया।
सोचा समझा तब जाकर तुममें हमनें विश्वास किया।।
आये हो तुम जब दुनियां में आतेही हाहाकार किया।
कई जनों के जीवन को तुमनें यूं ही बर्बाद किया।।
सत्ताऐं जब होश में आती तुमने अन्तर्घात किया ।
विश्व पटल पर कोविड बनकर .दुनियाँ का संहार किया।।
कुछ के जीवन प्राणों को हर भारतबन्द आह्वान किया।
छीने धन्धे छीने जीवन भोजन से मोहताज किया।।
अपने घरों में कैदी होकर जीवन यूँ दु्ष्वार किया।
स्वच्छन्द हवा में घुलना मिलना तुमने न स्वीकार किया।
शिक्षण संस्थानों में घुसकर शिक्षा पर प्रहार किया।।
मतवाला हो अहंभाव में विश्वविजेता ठान लिया।
पर भूले तुम शिक्षा की लौ पर किसने अधिकार किया।
अनवरत चलेगा यह दीपक शिक्षक ने भी यह ध्यान किया।।
अवसर अन्तर्जालशिक्षा का मिलकर सबने पहचान लिया।
ज्ञानज्योत की गंगा यमुना को फिर आत्मसात किया।।
कोरोना जैसे संकट में भी शिक्षा ने प्रचार किया।
दूर गाँव में वैठे हर बच्चे का उद्धार किया।।