विजेता
विजेता
दाहिनी आंख में आंसू छोड़े,
वह हंसी,
उसे अच्छा लगा, सब कुछ ठीक था,
वह झूठ बोली।
वह बेवजह भटकती रही,
बिना किसी सुराग के,
उसने आसमान की ओर देखा,
जो उदास भी लग रहा था।
पर एक दिन बदल गया,
सब कुछ सही लगा,
तमाम अव्यवस्थाओं के बावजूद,
उसने अपने प्रकाश की खोज की।
उसने अपने योद्धा को गले लगा लिया,
और लड़ने के लिए चुना,
उसने आसमान की तरफ देखा,
जो खुशी से झूम उठा।
उसने खुद को फिर से बनाया,
और बिना आंसुओं के मुस्कुराया,
परिवर्तन बस था,
उसके सारे डर को दूर कर दिया।
