सवाल
सवाल
आज देखा मैने एक सवाल
देखते क्यों है गांव और
शहर में इतना फर्क
कहते है लोग गांव के लोगों की सोच
गांवों तक सीमित रहती हैं
पर ऐसा नही है जनाब
मैं भी तो एक गांव की बेटी हूं
मुझे यहां के दर्द है दिखते....
खुद ना खाकर दूसरो को खिलाते
यहां रहने वालो का दिल हैं बड़ा होते
दिन रात है मेहनत हैं करते....
फिर भी उतना फल है नहीं मिलते
जितना उनका हक हैं होते
सच कहूं गांवो के लोगों
के पास आज भी उड़ान है
लेकिन पैसा उन्हें झुका हैं देते....
इतना गुण तो हैं गांवों में
हराम के पैसे नहीं है खाते
ईमानदारी से भरे पड़े है
खुद रोकर दूसरो को हंसाते
मानवता को साथ है रखते....
क्या हुआ यहां भोले भाले है लोग
वो किसी का बुरा तो नहीं हैं सोचते
सच कहूं तो गांवो की
बस्ती में स्वर्ग हैं दिखते।
