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Yogita Sahu

Abstract

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Yogita Sahu

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किसान के पीरा

किसान के पीरा

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सावन मा तै गिरे नही

भरे अग्घन मा बरसावत हस

हाय रे मुडपिरवा बादर 

आज सबो किसान ला तैं रोवावत हस.....

सावन के बरखा रानी तैं

अघ्घन मा काबर आवत हस

गिराके पानी झोर झोर के

काबर रार मचावत हस 

वाह रे देखमरहा करिया बादर 

आज सबो किसान ला तै रोवावत हस...

जरूरत रिहिस ओ  दिन मा

तब तैहा तरसाए हस

आज किसान के बइरी बनके 

काबर तैहा आए हस

देश राज के अर्थव्यवस्था

काबर तैं डगमगावत हस 

वाह रे करिया बादर आज

 सबो किसान ला तैं रोवावत हस....

जे दिन मा बलाए रेहेन 

ओ दिन मा भुलियार दिए 

धान लुवे के दिन मा काबर 

दुख के बादर ढार दिए 

कर्जा लदाए मुँड़ ऊपर मा 

काबर तैं इतरावत हस 

हत् रे करिया बादर आज 

 सबो किसान ला तै रोवावत हस....



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