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V. Aaradhyaa

Abstract

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V. Aaradhyaa

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मेरे पँख होते तो

मेरे पँख होते तो

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अगर मेरे पँख होते तो...

मैं बादलों पर अपने सपनों का झूला झूलती,

हवा को अपना घर बनाती

हवाई यात्रा का आनंद लेती

चिड़ियों के संग तेज़ उड़ने की होड़ लगाती,

रुई के फाहे जैसे बादलों को

अपनी मुट्ठी में भर लेती और

उस प्यार भरे स्पर्श को महसूस करती

जो माँ के आँचल में लिपटकर मुझे मिलता है.

इतने सारे सपने सच हो जाते

अगर मेरे पँख होते.


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