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Goldi Mishra

Abstract

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Goldi Mishra

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उसकी जरूरत

उसकी जरूरत

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उसकी चाहत से उसकी जरूरत मै बन गई,

देखते देखते उसका बीता कल भी बन गई,।।

उस अजनबी की चाहत थी कभी,

आज उसकी जरूरत बन कर रह गई,

क्यों आज भी इस दिल में उसके लिए एहसास बाकी है,

क्यों आज भी किसी कोने में यादों के एहसास बाकी है,।।


उसकी चाहत से उसकी जरूरत मै बन गई,

देखते देखते उसका बीता कल भी बन गई,।।

कभी किसी मोड़ पर उसे काश इल्म होता,

मैने जो इश्क किया उससे काश उसने भी वो मुझसे किया होता,

कोशिशों में लगी थी मैं की शायद तुम बदलोगे,

दिल में कैद जज़्बात कभी तो बोलोगे,।।


उसकी चाहत से उसकी जरूरत मै बन गई,

देखते देखते उसका बीता कल भी बन गई,।।

ना मैने फरियाद में कुछ ज्यादा मांगा जो तुम दे ना सके,

ना तुम्हे कम चाहा जो तुम गैर बन गए,

अब रास्ते अलग ही रहने देते है,

इस रिश्ते को जरूरत का नाम नहीं देते है,।।



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