साम्प्रदायिक सद्भाव कायम रहे !
साम्प्रदायिक सद्भाव कायम रहे !
साम्प्रदायिक हिंसा सभ्यता की नींव
पूर्णतया कमज़ोर कर देती है।
साम्प्रदायिक तनाव से
मानवाधिकार का प्रत्यक्ष रूप में
हनन होता है।
ये भीड़ जब
आनन-फानन असंतुलन पैदा करती है,
तो ही कुछ स्वार्थी असामाजिक तत्वों की
दाल-रोटी चलती है...!
सुनने में बुरा लगता है, मगर
साम्प्रदायिक हिंसा की भट्टी में
कई बेगुनाह जल-भून जाते हैं...!
मानव सभ्यता के लिए
अभिशाप बन जाती है
साम्प्रदायिक दंगे,
जिनमें फँसकर कई बेगुनाह
अपनी जान-ओ-माल
गँवा बैठते ह़ै...!!
साम्प्रदायिक सौहार्द
इस विश्व के लिए
वरदान-स्वरूप है!
अतः प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में
किसी भी जाति या
अंचल को टार्गेट करना
संपूर्ण मानव जाति के लिए
विनाशकारी भूकंप या
प्रलय की सूचना-स्वरूप है।
अगर हमें इस विश्व का
पुनरुत्थान, पुनर्निर्माण एवं
पुनर्गठन करना है,
तो हमें इस पूरे संसार में
साम्प्रदायिक सौहार्द एवं
आध्यात्मिक ज्ञान का
पुनर्संचार एवं पुनर्विकास करना
अत्यंत आवश्यक है,
वरना ये विश्व असंतुष्ट, असंतुलित
एवं असंगठित लोगों की भीड़ का
महज़ एक हिस्सा बन कर रह जाएगा
और कुछ नहीं...!
चलिए, हम सब एकजुट होकर
साम्प्रदायिक तनाव को
दूर करें...!!!
चलिए, हम इस
पूरे ब्रह्मांड में
शांति-समृद्धि-सौहार्द का
संचार करें...!!!
चलिए, हम स्वयं को
सकारात्मक ऊर्जा का
एक अनंत स्रोत बनाएँ...!!!
चलिए, हम इस समाज को
कलंकित होने से बचाएँ...!!!