अश्रुपूर्ण विदाई
अश्रुपूर्ण विदाई
ये अश्रु में डूबी हुई,
मेरी अंतिम विदाई नहीं,
मेरे वतन ये आज मेरे,
जन्म का आगाज़ है।
अरि के कुत्सित घात से,
जो लहू मेरा बह रहा,
ये लहू नहीं है दोस्तो,
ये देश की आवाज है।
ये देखना कि शत्रु मेरे,
ऐसा एक दिन आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा,
सैलाब सा बन जाएगा।
नापाक तेरे सब इरादे,
डूब उसमें जाएँगे,
वो दिन भी दूर है नहीं,
जब तेरा नाम ही मिट जाएगा।
मेरी चिता अग्नि-शिखा बन,
चेतावनी ये दे रही,
शीघ्र ही तू इस चिता की,
राख में मिल जाएगा।
गुस्ताख तूने सोए हुए,
एक शेर को ललकारा है,
देख अब कैसे ये तेरा,
काल बनकर आएगा।
मेरे देश की माटी को तूने,
छूने का साहस किया,
अपनी इस ग़लती पे अब तू,
शीघ्र ही पछताएगा।
ऐ देश मेरे आज तू ये,
शब्द अंतिम याद रखना,
मृत्यु ना कहना इसे,
कह शहादत सम्मान देना।
ना भूलना मेरे बदन में,
घाव जो गहरे दिए हैं,
हर घाव को मेरे दोस्तो,
अरि शीश से सम्मान देना।
मेरे चिता की ये तपिश,
ठंडी ना होने देना कभी,
नापाक मंसूबे अरि के,
इसमें जला देना सभी।