STORYMIRROR

Shailaja Bhattad

Action

3  

Shailaja Bhattad

Action

क्रांति

क्रांति

1 min
397


उठे तरंगे इतनी कि कोई

कंकड़ भी ना अंदर आना चाहिए।

हो मंत्रों का जाप यूँ कि

झक्कड़ लौट जाना चाहिए।


है दधिची कई यहाँ तो

विजय पताका दिखनी चाहिए।

जरूरत पड़े या ना पड़े

हर वक्त तैयार रहना चाहिए।


हम थे, हम हैं, हम रहेंगे सदा

यह जान ले अब सब यहाँ।

हमारी अस्मिता के ताप से

शत्रु टिक न पाएंगे।


हवाओं का रुख ना हो

हमारे साथ चाहे।

दुश्मन अंदर हो या बाहर

छलनी होना चाहिए।


जरूरत पड़े या ना पड़े

हर वक्त तैयार रहना चाहिए।

हम हैं धनी विचारों से,

लूटना हमें संभव नहीं।


यज्ञ वेदों से मिली जो,

सिद्धि से संहार में

कोई संशय नहीं।


कृष्ण बने सारथी

शौर्य गाथा बनना चाहिए।

हर हृदय में ज्वार उठे,

काफिराना अंदाज चाहिए।


जरूरत पड़े या ना पड़े

हर वक्त तैयार रहना चाहिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action