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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Classics Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Classics Inspirational

किताबें कुछ कहती हैं हमसे

किताबें कुछ कहती हैं हमसे

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किताबें कुछ कहती हैं हमसे, 

कुछ पल बिताकर देखो उसके साथ !

उसके पृष्ठों पे उल्लिखित शब्द कुछ कह रहे होते हैं हमसे !

वो कुछ पल बिताना चाहते हैं हमारे साथ !


दो बिछड़े हुए को वापस मिलाती हैं किताबें, 

दो अनजान मुसाफिर को एक- दूसरे से मिलाकर 

मंज़िल के करीब लाती हैं किताबें, 

किताबें कुछ कहती हैं हमसे, 

कुछ पल बिताकर देखो उसके साथ !


कभी कविता बन कवि की कोमल हृदय की करुण भाव से विभोर करती हैं किताबें, 

कभी कहानी बन मानो हमारी ही कहानी कह रही होती है ।

कभी उपन्यास में कथानक बन हमारे ही जीवन के इर्द-गिर्द घूम रही होती हैं किताबें ,

कभी यात्रा- वृतांत बन जीवन की यात्रा करा करके 

पुन: उसी हासिये पे ला खड़ा करती है किताबें,


कभी संस्मरण में समाकर हमें खुद में समेटती हैं किताबें, 

कभी रेखाचित्र बन हमारे जीवन की रेखा को निर्धारित और विस्तारित करती हैं किताबें, 

किताबें कुछ कह रही होती हैं हमसे, 

कुछ पल बिताकर देखो उनके साथ!

कई अनसुलझे रहस्य से पर्दा उठाती हैं किताबें,


तो कई नई सवालों को जन्म देती हैं किताबें  

तो कई नई कौंधते सवाल हमारे जेहन में और छोड़ जाती हैं किताबें, 

जिसके लिए फिर से हमें किताबों के पास आना होता है,

किताबें कुछ कहती हैं हमसे, 

कुछ पल उनके साथ बिताकर तो देखो।


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