जाओ
जाओ


हमने भी कह दिया कि जाओ,
अपनी भारत माँ की खातिर,
उनका सर झुकाकर आओ।
उनके काले कर्मों का तुम,
आज हिसाब करके आओ।
रोकेगा न तुमको कोई आज,
अपने खून का बदला,
उनसे तुम लेकर आओ।
जो भी रोके रुकना मत,
बस आगे कदम बढ़ाओ।
रौंद दो मिट्टी में उनको,
और भारत का मान बचाओ।
काफ़ी भारी दिल से मैंने,
अपने सैनिक बेटे से कह दिया,
अपनी इस माँ की परवाह छोड़ो,
तुम जाओ !
चाहे बलिदान क्यों न देना पड़े,
पर जंग के मैदान में
सीना तानकर तुम जाओ !
अपना सर्वस्व न्यौछावर कर,
भारत माँ के सपूत,
"शहीद" तुम कहलाओ।