STORYMIRROR

Kashish Verma

Inspirational

5.0  

Kashish Verma

Inspirational

आज का नाश्ता

आज का नाश्ता

1 min
878


जब पास होती थी तुम मेरी माँ,

तब तो बाज़ार का खाना अधिक

स्वाद था

लेकिन आज जब तुम पास नहीं,

तो वही खाना कोई खास न था।

न उसमें तुम्हारे हाथों का आभास था,

न ही कोई ज़्यादा अच्छा स्वाद था।

न चाय की चुस्की में वो बात थी,

हमारी गपशप की उसमें कमी सी थी।


लेकिन आज का नाश्ता सबसे

खास था,

क्योंकि उसमें तुम्हारे वक़्त का

आभास था।

खाते समय मेरे दिल में बस एक

ही बात थी,

कि चाहे लाख अच्छा हो वो पास्ता

पर तुम्हारे हाथों का वो परांठा

सबसे खास था,


उस पर मक्खन जैसा तुम्हारा लाड था

और तुम्हारे खिलाने के अलग ही

अंदाज़ था!

यह पहले कभी न तुम्हें जताया था,

बस मेरे दिल का एक राज़ था।

और यह बस मेरे प्यार को,

ज़ाहिर करने का एक प्रयास था।

न कोई है न कोई होगा,

इस पूरी दुनिया में मेरी माँ-सा।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational