बलात्कार- एक खौफनाक कथा
बलात्कार- एक खौफनाक कथा


नन्ही सी कली,
छोटी-सी जान थी वो।
पापा की परी,
घर की आन बान शान थी वो।
खेल में सबसे तेज़,और स्कूल में विद्वान थी वो।
पर घर में पली,
बाहरी दुनिया से अनजान थी वो।
स्कूल तो जाती,
पर अभी भी नादान थी वो।
और एक दिन अपने ऊपर पड़ी,उस काली परछाईं से हैरान व परेशान थी वो।
उसके हाथों में चॉकलेट देख,
उसके इरादों को जान न सकी वो।
यातनाएँ सहीं, चीखी चिल्लाई,
पर अब तो बस बलात्कार का शिकार थी वो।
यूँ तो दुर्गा माँ का रूप,
और लक्ष्मी समान थी वो।
पर समाज की घिनौनी सोच के कारण,
अब बस एक पीड़ित थी वो।
और इस घटना के बाद,
निर्दोष होते हुए भी,
महज़ एक कलंक समान थी वो।
पर बाकी लड़कियों के लिए शिक्षा,
और सभी के लिए सोने की खान थी वो।