STORYMIRROR

Kashish Verma

Abstract

5.0  

Kashish Verma

Abstract

बादल और मैं

बादल और मैं

1 min
166


आज मैंने एक बादल से पूछा,

क्यों है तुम्हारा कद इतना ऊँचा?

क्यों करते तुम घनघोर गर्जना?

दूर करो मेरी यह विडम्बना।

मुस्काता हुआ बोला बादल,

सुख दुख का साथी मैं तेरा।

तू खुश हो तो करता मैं करतल,

तेरे दुख में रोता पल-पल।

ऊँचे कद से प्रोत्साहन देता,

बड़ा बनने का उदाहरण देता।

सबको जीने का कारण देता,

हर जीवन में उमंग भर देता।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract